
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024, आज लोकसभा में पेश होगा. इस दौरान हंगामें की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि विपक्ष इस विधेयक के खिलाफ वोट देने का ऐलान किया है.
यह विधेयक भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विनियमन में सुधार लाने के उद्देश्य से प्रस्तावित एक महत्वपूर्ण विधेयक है. यह मौजूदा वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करके वक्फ बोर्डों की संरचना, संपत्तियों की परिभाषा और प्रबंधन से संबंधित प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव करता है.
31 मार्च, 2025 को एक प्रेस वार्ता के दौरान अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने विधेयक पर चर्चा करने के लिए समय देने की बात कही. उन्होंने कहा कि कुछ संगठन विधेयक को लेकर झूठा प्रचार कर रहे हैं. विपक्ष को हम विधेयक पर चर्चा करने का समय देंगे.
विधेयक में क्या है प्रमुख प्रावधान?
- वक्फ बोर्डों में संरचनात्मक बदलाव:
संशोधित विधेयक के अनुसार, वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है. इसमें मुस्लिम ओबीसी समुदाय से एक सदस्य को शामिल करने की बात कही गई है, जिससे वक्फ बोर्डों में व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके.
- वक्फ संपत्तियों की परिभाषा में बदलाव:
विधेयक में 'वक्फ बाय यूजर' की परिभाषा को हटाने का प्रस्ताव है, जिससे उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ेगी. हालांकि, यह प्रावधान आगामी समय से प्रभावी होंगे और मौजूदा संपत्तियों पर लागू नहीं होंगे.
- महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा:
विधेयक में 'वक्फ अलल औलाद' (पारिवारिक वक्फ) में महिलाओं के विरासत अधिकारों की रक्षा करने के प्रावधान शामिल हैं, जिससे विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और यतीमों को समर्थन मिल सके.
समिति ने सभी सदस्यों से प्रस्तावित संशोधनों पर सुझाव मांगे थे. हालांकि, विपक्ष द्वारा सुझाए गए संशोधन मतदान के दौरान बहुमत से खारिज कर दिए गए. विपक्षी दलों ने इस पर नाराजगी जताते हुए समिति की प्रक्रिया को पक्षपाती बताया. उनका आरोप है कि उनके महत्वपूर्ण संशोधनों को बिना उचित विचार के अस्वीकार कर दिया गया.
44 संशोधनों पर विचार, 14 संशोधनों को किया स्वीकार
संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने 27 जनवरी को वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पर अपनी अंतिम बैठक की. समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बताया कि बैठक में सरकार और विपक्ष द्वारा प्रस्तुत संशोधनों पर विस्तार से चर्चा की गई. कुल 44 संशोधनों को लेकर विचार-विमर्श हुआ, जिनमें से बहुमत के आधार पर 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया.समिति ने सभी सदस्यों से प्रस्तावित संशोधनों पर सुझाव मांगे थे. हालांकि, विपक्ष द्वारा सुझाए गए संशोधन मतदान के दौरान बहुमत से खारिज कर दिए गए. विपक्षी दलों ने इस पर नाराजगी जताते हुए समिति की प्रक्रिया को पक्षपाती बताया. उनका आरोप है कि उनके महत्वपूर्ण संशोधनों को बिना उचित विचार के अस्वीकार कर दिया गया.
विपक्ष क्यों कर रहे हैं इसका विरोध?
विपक्षी दलों और संगठनों ने इस विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई है.उनके मुख्य तर्क निम्नलिखित हैं:
- वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति:
विपक्ष का मानना है कि वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है, जो धार्मिक संस्थाओं को अपने मामलों का स्वतंत्र प्रबंधन करने का अधिकार देता है. उनका तर्क है कि यह वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप करता है.
- संशोधनों की प्रक्रिया पर असंतोष:
विपक्षी सांसदों का आरोप है कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में उनके द्वारा सुझाए गए संशोधनों को खारिज कर दिया गया और उनकी असहमति को रिपोर्ट से हटा दिया गया. उन्होंने समिति की कार्यवाही पर असंतोष व्यक्त किया और इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के खिलाफ बताया.
- विधेयक की संवैधानिकता पर सवाल:
विपक्षी दलों का कहना है कि यह विधेयक वक्फ बोर्डों को नष्ट करने का प्रयास है और इससे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों का हनन होगा. उन्होंने इसे असंवैधानिक करार देते हुए संसद में विरोध प्रदर्शन किया.
बता दें कि विधेयक पर विचार करने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति ने सत्तारूढ़ दल के सदस्यों द्वारा सुझाए गए 14 संशोधनों को मंजूरी दी थी, जबकि विपक्षी सदस्यों के सुझावों को खारिज कर दिया गया था. जिसके बाद विपक्षी दलों और संगठनों ने विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखा, जिसमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने भी सक्रिय भूमिका निभाई. उन्होंने पटना में बिहार विधानसभा के सामने बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन किया.
बता दें कि विधेयक पर विचार करने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति ने सत्तारूढ़ दल के सदस्यों द्वारा सुझाए गए 14 संशोधनों को मंजूरी दी थी, जबकि विपक्षी सदस्यों के सुझावों को खारिज कर दिया गया था. जिसके बाद विपक्षी दलों और संगठनों ने विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखा, जिसमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने भी सक्रिय भूमिका निभाई. उन्होंने पटना में बिहार विधानसभा के सामने बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन किया.