
हिंसा का कारण और पृष्ठभूमि
हिंसा की चिंगारी वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर प्रस्तावित संशोधनों से भड़की. मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग द्वारा इस कानून में संशोधन को उनके धार्मिक अधिकारों और सम्पत्तियों पर हस्तक्षेप के रूप में देखा गया. इस आशंका ने विरोध को जन्म दिया, जो देखते ही देखते उग्र हो गया.
मुर्शिदाबाद, जो राज्य के मुस्लिम बहुल जिलों में से एक है, वहां प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए. कुछ स्थानों पर विरोध ने सांप्रदायिक स्वरूप ले लिया और देखते ही देखते स्थानीय बाजारों, धार्मिक स्थलों और वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया.
कोलकाता हाई कोर्ट का हस्तक्षेप
हिंसा के बढ़ते दायरे और गंभीरता को देखते हुए भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कोलकाता हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने हिंसा को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की. हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह केंद्र सरकार से समन्वय कर मुर्शिदाबाद और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों की तैनाती सुनिश्चित करे.
हाई कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद केंद्र सरकार ने प्रतिक्रिया दी और 16 कंपनियों की तैनाती का आदेश जारी किया गया. इनमें से कई कंपनियाँ पहले ही राज्य में मौजूद बीएसएफ और अन्य केंद्रीय बलों के जवानों से समन्वय में काम कर रही हैं.
केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन की बैठक
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के शीर्ष अधिकारियों के साथ तत्काल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक की. केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी राजीव कुमार से हिंसा की स्थिति, सुरक्षा उपायों और आगे की रणनीति पर चर्चा की.
In view of the communal violence reported in Murshidabad district in West Bengal, Union Home Secretary Govind Mohan held a video conference with Chief Secretary and DGP of West Bengal today. The DGP, West Bengal, briefed that the situation was tense but under control and was… pic.twitter.com/lM7txdjbZX
— ANI (@ANI) April 12, 2025
डीजीपी राजीव कुमार ने बताया कि हालात फिलहाल तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में हैं. अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है, और आगे की छानबीन जारी है. उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय स्तर पर बीएसएफ की तैनाती से स्थिति को नियंत्रित करने में मदद मिली है.
गृह सचिव गोविंद मोहन ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार स्थिति पर नज़र बनाए हुए है और आवश्यकता पड़ने पर और अधिक केंद्रीय सुरक्षा बल भेजे जाएंगे. उन्होंने राज्य प्रशासन से अन्य संवेदनशील जिलों पर भी विशेष निगरानी रखने को कहा है, ताकि हिंसा अन्य क्षेत्रों में न फैले और कानून व्यवस्था बनी रहे.
बीएसएफ का फ्लैग मार्च और DGP का दौरा
हिंसा के बाद हालात सामान्य करने के लिए बीएसएफ जवानों ने फ्लैग मार्च निकाला, ताकि लोगों में विश्वास बहाल किया जा सके और संभावित हमलों को रोका जा सके. इसके साथ ही राज्य के डीजीपी राजीव कुमार खुद मुर्शिदाबाद पहुंचे और पुलिस एवं सुरक्षा बलों की तैनाती की समीक्षा की. उन्होंने स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक कर हालात की गंभीरता का आकलन किया.
राज्यपाल ने हाई कोर्ट के फैसले का किया स्वागत
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा, "कोलकाता हाई कोर्ट के निर्देश पर राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती समय रहते हुई. मैंने केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों से इस पर चर्चा की. हिंसा की खबर मिलते ही मैंने कानून व्यवस्था की स्थिति पर समीक्षा की और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से भी संवाद किया. मुझे संतोष है कि अदालत ने हस्तक्षेप कर एक सही समय पर निर्णय दिया."
#WATCH | West Bengal Governor CV Ananda Bose says, "I have been told that the Calcutta High Court has ordered deployment of central forces in riot-affected areas of West Bengal, including Murshidabad... Deployment of central forces is required to maintain peace and bring normalcy… pic.twitter.com/lKgPd3er8N
— ANI (@ANI) April 12, 2025
राज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया कि हिंसा की कोई जगह नहीं होनी चाहिए और प्रशासन को हर कीमत पर स्थिति को सामान्य करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर काम करना होगा.
हिंसा पर राजनीति और आरोप-प्रत्यारोप
इस घटनाक्रम के बाद राजनीतिक माहौल भी गर्म हो गया है. भाजपा ने राज्य सरकार पर हिंसा को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया. वहीं, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह संवेदनशील मुद्दों को उछालकर राज्य में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश कर रही है.
राजनीतिक दलों के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप के बीच आम नागरिक भयभीत हैं और उन्हें सुरक्षा एवं स्थिरता की आवश्यकता है. प्रशासन को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी प्रकार की अफवाहें और नफरत फैलाने वाले तत्वों पर कठोर कार्रवाई हो.