सूडान: शिविरों में भुखमरी झेल रहे लोगों पर हमला, दो दिन में 100 से अधिक की मौत

सूडान के पश्चिमी क्षेत्र दारफुर में पिछले कुछ दिनों से भुखमरी और मानवाधिकारों का उल्लंघन एक गहरा संकट उत्पन्न कर रहा है. हाल ही में, अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) और उससे जुड़े मिलिशिया समूहों द्वारा दारफुर के शिविरों पर किए गए हमले ने पूरे क्षेत्र में हिंसा और असुरक्षा की स्थिति को और भी बढ़ा दिया है. इन हमलों के परिणामस्वरूप, सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए हैं, जिनमें बच्चों और राहतकर्मियों की भी बड़ी संख्या शामिल है. यह घटनाएं सूडान के गृहयुद्ध की गंभीरता और मानवीय संकट को उजागर करती हैं, जिसमें अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग प्रभावित हो चुके हैं.
© UNFPA/Karel Prinsloo Central African Republic, 2024. Newly arrived Sudanese refugees at Korsi refugee camp.
दरअसल, दारफुर इलाका पहले ही एक संघर्षग्रस्त क्षेत्र रहा है, जहाँ वर्षों से सूडानी सेना और आरएसएफ के बीच संघर्ष जारी है. यह संघर्ष अब तक अनगिनत लोगों की जान ले चुका है और लाखों लोगों को बेघर कर चुका है. 2003 से चल रहे इस संघर्ष में क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता की लड़ाई के कारण विभिन्न जातीय और धार्मिक समूहों के बीच तनाव पैदा हुआ है. इस संघर्ष का मुख्य कारण सूडान की सत्ता के लिए हो रहे विवाद और विवादास्पद जनजातीय संघर्ष है, जो अक्सर आरएसएफ और सेना द्वारा समर्थित हैं.

पिछले दिनों आरएसएफ द्वारा दारफुर के कुछ शिविरों पर किए गए हमले ने एक बार फिर से इस हिंसा को चरम पर पहुंचा दिया. शुक्रवार को हुए हमलों में जमजम और अबू शोरूक शिविरों को निशाना बनाया गया. इन शिविरों में बड़े पैमाने पर शरणार्थी और स्थानीय लोग रह रहे थे, जिन्हें युद्ध और हिंसा के कारण अपनी ज़मीन से विस्थापित होना पड़ा था. इन शिविरों पर हुए हमले में सौ से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जिनमें 20 बच्चे और 9 राहतकर्मी भी शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, यह हमले दारफुर में हो रहे संघर्ष में मानवीय संकट को और भी बढ़ा रहे हैं.
 
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट और प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय समन्वयक, क्लेमेंटाइन नक्वेटा-सलामी, ने शनिवार को एक बयान में कहा कि इन हमलों ने दारफुर में शरणार्थियों और राहतकर्मियों के लिए एक नया खतरा उत्पन्न कर दिया है. नक्वेटा-सलामी के मुताबिक, जमजम शिविर के एक स्वास्थ्य केंद्र पर हुए हमले में नौ राहतकर्मी मारे गए. यह उन असंख्य मानवीय प्रयासों के खिलाफ एक घातक हमला है, जो शरणार्थियों और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए किए जा रहे थे. इस हमले के बाद, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में इस प्रकार के हमलों के खिलाफ नाराजगी और चिंता का माहौल है.

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, सूडान के गृहयुद्ध में अब तक 24,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि असल संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है. यह युद्ध न केवल क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा रहा है, बल्कि यह मानवीय संकट के मामले में भी एक अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न कर रहा है.
 
आरएसएफ का आतंक और चिकित्सा कर्मियों पर हमला

सूडान के डॉक्टर्स यूनियन ने भी इस हमले की निंदा की और बताया कि जब जमजम में उनके अस्पताल पर हमला हुआ, तो रिलीफ इंटरनेशनल के छह चिकित्सा कर्मियों की जान चली गई. इन चिकित्सा कर्मियों में डॉ. महमूद बाबाकर इदरीस और आदम बाबाकर अब्दुल्ला का नाम भी शामिल था, जो क्षेत्र में चिकित्सा सेवाओं के प्रमुख थे. यह हमला न केवल चिकित्सा कर्मियों के लिए एक बड़ा खतरा है, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित करने और कमजोर करने का प्रयास भी है, जिससे घायल और बीमार लोगों की मदद और भी कठिन हो गई है. डॉक्टर्स यूनियन ने इस घटना को 'बर्बर कृत्य' बताते हुए आरएसएफ को इसकी जिम्मेदारी सौंपी.
 
संघर्ष के कारण और राजनीतिक प्रभाव

सूडान का गृहयुद्ध एक लंबा और जटिल संघर्ष है, जिसका कारण सूडान के सत्ता के लिए हो रही राजनीति और जातीय विवाद हैं. आरएसएफ, जिसे कभी सूडान के राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के शासन में एक मजबूत शक्ति के रूप में देखा जाता था, अब सूडान के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. 2019 में अल-बशीर के तख्तापलट के बाद से सूडान में अस्थिरता बढ़ी है और यह संघर्ष अब भी जारी है. सूडानी सेना और आरएसएफ के बीच यह संघर्ष केवल सैन्य नहीं, बल्कि जातीय और सामाजिक टकराव को भी दर्शाता है, जो सूडान के लिए एक गंभीर राजनीतिक चुनौती है.
 
मानवीय संकट और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका

सूडान में बढ़ती हिंसा और संघर्ष ने एक गहरा मानवीय संकट उत्पन्न किया है. लाखों लोग शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं, जहाँ उन्हें सीमित संसाधनों और सुरक्षा की कमी का सामना करना पड़ रहा है. खाद्य, पानी, चिकित्सा सेवाएँ और शरण की अत्यधिक आवश्यकता है, लेकिन इन सेवाओं की आपूर्ति में लगातार रुकावटें आ रही हैं. संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ सूडान के इस संकट से निपटने के लिए राहत प्रदान करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन हिंसा और असुरक्षा के कारण राहत कार्यों में भारी कठिनाई आ रही है.

इस संकट का समाधान केवल आपातकालीन राहत प्रदान करने से नहीं होगा, बल्कि राजनीतिक समाधान की आवश्यकता है. सूडान में एक स्थिर और शांतिपूर्ण शासन की स्थापना की दिशा में कदम उठाने होंगे, ताकि नागरिकों को हिंसा और भुखमरी का सामना न करना पड़े. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सूडान के संघर्ष को सुलझाने के लिए एकजुट होकर प्रयास करना होगा, ताकि यह संकट समाप्त हो सके और दारफुर जैसे क्षेत्रों में शांति बहाल हो सके.



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