अप्रैल 2025: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध (Trade War) एक नए स्तर पर पहुंच गया है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के उत्पादों पर भारी-भरकम टैरिफ (Tariffs) लागू कर दिए हैं, जिससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता पैदा हो गई है और कारोबार जगत में चिंता बढ़ गई है।
अमेरिका का बड़ा फैसला: 145% टैरिफ
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित वस्तुओं पर 145 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और व्यापार घाटे को कम करना है। हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
चीन की प्रतिक्रिया: 125% टैरिफ और आखिरी चेतावनी
बीजिंग ने जवाबी कार्रवाई में अमेरिका से आने वाले सभी सामानों पर 84% से बढ़ाकर 125% तक टैरिफ लगा दिए हैं। चीन ने इसे अपनी अंतिम प्रतिक्रिया बताया और कहा कि अगर अमेरिका अब और बढ़ोतरी करता है, तो उसे नज़रअंदाज़ किया जाएगा। बीजिंग ने इसे "अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों और सामान्य समझदारी के खिलाफ" बताया है।
व्यापार आंकड़े और बाजार की चिंता
अमेरिका और चीन के बीच सालाना लगभग 700 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है। ऐसे में इतने बड़े टैरिफ का असर न केवल दोनों देशों की कंपनियों पर, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (Global Supply Chain) पर भी पड़ रहा है। कई कंपनियों ने निवेश को रोक दिया है और बाजार में अस्थिरता देखी जा रही है।
अमेरिकी कंपनियों पर असर
- टेस्ला ने चीन में अपनी डिलीवरी अस्थायी रूप से रोकी।
- एप्पल को अपने उत्पादों की लागत में बढ़ोतरी झेलनी पड़ रही है।
- वॉलमार्ट, डेल्टा जैसी कंपनियों ने वित्तीय पूर्वानुमान घटाए हैं।
चीन की रणनीति और अगली चाल
चीन ने अमेरिका के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज की है और अमेरिकी कृषि उत्पादों के आयात पर रोक लगाने की योजना बनाई है। इसके अलावा कुछ अमेरिकी कंपनियों की जांच भी शुरू की गई है।
वैश्विक बाजारों पर प्रभाव
इन निर्णयों के चलते Dow Jones और अन्य शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। निवेशकों का भरोसा कमजोर हो रहा है और वैश्विक मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है।